Dose

प्रतिदिन 3 ग्राम पाउडर दिन में दो बार यह मात्रा सामान्य रूप से सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन हर व्यक्ति की शारीरिक स्थिति और शुगर स्तर अलग होता है।आप हमारे विशेषज्ञ आयुर्वेदिक चिकित्सक से फ्री परामर्श लेकर अपने लिए उपयुक्त खुराक जान सकते हैं

Ingredients

1. गुड़मार (Gurmar): गुड़मार को “शुगर कटर” भी कहा जाता है। यह शरीर में शर्करा के अवशोषण को रोकता है और रक्त शुगर के स्तर को संतुलित करता है। यह ग्लूकोज़ के पाचन और अवशोषण में मदद करता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर कम रहता है। गुड़मार के सेवन से शुगर की लालसा भी कम होती है, जिससे डायबिटीज़ के रोगियों को लाभ होता है। इसका नियमित सेवन इंसुलिन के स्तर को भी नियंत्रित करता है।

2. विजयसार (Vijaysar):
विजयसार के लकड़ी के टुकड़े को पानी में उबालकर सेवन करने से रक्त शर्करा का स्तर कम हो सकता है। यह रक्त में ग्लूकोज़ के अवशोषण को नियंत्रित करता है और शरीर में इंसुलिन के कार्य को बढ़ाता है। विजयसार का सेवन रक्त शर्करा के स्तर को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे मधुमेह के रोगियों को आराम मिलता है। यह जड़ी-बूटी शरीर में सूजन को भी कम करती है।

3. सप्तरंगी (Saptarangi):
सप्तरंगी एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि है जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक है। यह रक्त में शर्करा के स्तर को स्थिर बनाए रखता है और ग्लूकोज़ के पाचन को धीमा करता है। सप्तरंगी का उपयोग करने से शरीर में इन्सुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है और ब्लड शुगर का स्तर सामान्य रहता है। इसे नियमित रूप से सेवन करने से मधुमेह से संबंधित समस्याएं कम होती हैं।

4. करेला (Karela):
करेला में प्राकृतिक रूप से इंसुलिन की क्रियावली को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। इसके नियमित सेवन से रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है। करेला ब्लड शुगर को कम करने में सहायक होता है और यह शरीर से अतिरिक्त शर्करा को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा, यह पाचन क्रिया को बेहतर करता है और वजन घटाने में भी मदद करता है। मधुमेह के रोगियों के लिए यह एक अत्यंत लाभकारी उपाय है।

5. नीम (Neem):
नीम के पत्तों में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। नीम का नियमित सेवन रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और शरीर में इंसुलिन के प्रभाव को बढ़ाता है। यह प्राकृतिक रूप से शरीर को डिटॉक्स करता है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर कम रहता है। नीम का सेवन संक्रमण को भी रोकता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

6. जामुन (Jamun):
जामुन का फल और इसके बीज ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक प्रभावी होते हैं। जामुन में ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर में शर्करा के अवशोषण को कम करते हैं और इंसुलिन के प्रभाव को बढ़ाते हैं। यह रक्त शर्करा को स्थिर बनाए रखता है और मधुमेह से जुड़े लक्षणों को कम करने में मदद करता है। जामुन का सेवन रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा को भी नियंत्रित करता है।

7.आंवला (Amla):
आंवला आयुर्वेद में एक बहुत ही प्रभावी और शक्तिशाली रासायनिक तत्व है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर में रक्त शर्करा को संतुलित करते हैं। आंवला का सेवन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। यह पाचन को बेहतर करता है और शरीर को डिटॉक्स करता है, जिससे ब्लड शुगर की समस्या कम होती है।

8. देवदारु (Devdaru):
देवदारु एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है, जो शारीरिक सूजन और वात संबंधी विकारों को कम करने में सहायक है। इसका उपयोग रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है। यह शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है और रक्त में शर्करा की अधिकता को संतुलित करता है। देवदारु के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर की समग्र स्थिति को बेहतर करते हैं।

9. गिलोय (Giloy):
गिलोय आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है। यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में भी मदद करती है, क्योंकि यह शरीर में ग्लूकोज़ को अवशोषित करने की प्रक्रिया को धीमा करती है। गिलोय के सेवन से शरीर की सूजन और संक्रमण कम होते हैं, जिससे रक्त शर्करा का स्तर स्थिर रहता है। गिलोय का सेवन रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए एक प्राकृतिक तरीका है।

10. एलोवेरा (Aloe vera):
एलोवेरा रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करने वाली एक बेहतरीन औषधि है। इसके अंदर मौजूद विटामिन और मिनरल्स रक्त में शर्करा के अवशोषण को धीमा करते हैं। यह पाचन को बेहतर करता है और शरीर को डिटॉक्स करता है, जिससे ब्लड शुगर को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। एलोवेरा के नियमित सेवन से शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ावा मिलता है।

11. पलाश (Palash):
पलाश के फूल और लकड़ी का उपयोग मधुमेह के इलाज में किया जाता है। यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है और शरीर को मजबूत करता है। पलाश का सेवन शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है और सूजन को कम करता है, जिससे ब्लड शुगर स्थिर रहता है। यह पाचन को सुधारने और शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने में भी सहायक होता है।

12. कालमेघ (Kalmegha):
कालमेघ एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह यकृत को स्वस्थ रखने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। कालमेघ का सेवन रक्त में शर्करा के स्तर को संतुलित करता है और शरीर को डिटॉक्स करता है, जिससे मधुमेह के लक्षणों में सुधार होता है।

13. अर्जुन (Arjuna):
अर्जुन के बarks में पाई जाने वाली औषधीय गुण रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। अर्जुन का सेवन हृदय स्वास्थ्य को भी बेहतर करता है और रक्त में शर्करा के स्तर को संतुलित रखता है। यह रक्तदाब को नियंत्रित करता है और शरीर की सूजन को कम करता है। अर्जुन का नियमित सेवन मधुमेह से जुड़ी समस्याओं को कम करने में सहायक है।

14. मुलेठी (Mulethi):
मुलेठी का सेवन रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शर्करा के अवशोषण को धीमा करते हैं। यह पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है और शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है, जिससे ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है। मुलेठी का सेवन रक्त में शर्करा को स्थिर बनाए रखता है।

15. चिरायता (Chirayta):
चिरायता एक अत्यंत प्रभावी औषधि है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है और शरीर में ग्लूकोज़ के अवशोषण को कम करता है। चिरायता का सेवन मधुमेह के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर को डिटॉक्स करता है और रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य बनाए रखता है।